मिलूंगा एक दिन
मिलूंगा एक दिन
हाँ भले हूं दूर तुमसे मन तुम्हारे पास है
आ मिलूंगा एक दिन मुझको अटल विश्वास है
सेंकड़ो मीलो की दूरी बीच अपने आज है
प्रीत के पथ जो चले है उनके सर पर ताज है
है ह्दय व्याकुल तुम्हारा हो रहा आभास है
आ मिलूंगा एक दिन मन मे अटल विश्वास है
दूर रहकर बात करता पर मिला कब चैन है
दर्शन को तरसे मेरे दो भींगे प्यासे नैन है
खुश रहो तुम हर घड़ी करते ना मन उदास है
आ मिलूंगा एक दिन मन मे अटल विश्वास है
चाहो तुम जो भी तुम्हे मिल जाये है ये कामना
प्रीत की खातिर हो सबके मन मे ही सद्भावना
मैं अकिंचन इतना जानूं प्रीत ही अरदास है
आ मिलूंगा एक दिन मन मे अटल विश्वास है।

