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Akbar Ali

Romance

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Akbar Ali

Romance

मिलन

मिलन

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उसके चेहरे की झलक फिर क्या मैंने पा ली

जिंदगी से यूँ जिंदगी ही मानो चुरा ली 


प्यार भरी निगाहों से देख रहा था उसको

उसने देखा तो मैंने अपनी नजरें झुका ली


देखकर मैंने उसको जब मुस्कुराया जो था

देखा उसने मुझे और पास अपने बुला ली


देखता हुआ चेहरा जब पास मैं पहुंचा उसके

हाथ पकड़ी मेरा और अपने पास बैठा ली


ना समझ पाया करूं मैं क्या अब भला

जब उसने अपनी नजरों से मेरी नजरें मिला ली


होश गुल थे मेरे हुआ भला यह कैसे कुछ

लेकिन वह एक हँसी से मुझे साथ अपने हंसा ली


याद होगा उसको वह दिन शायद तभी

जिस दिन से वह अब तक मुझको इतना रुला ली


काफी है, क्या हुआ, भूल जाओ सब "अकबर"

मेरी जान मुझको फिर जो गले से लगा ली!


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