मिलन
मिलन
शायद ये विचीत्र मिलन,
उपर वाले का करतव,
नज़र आता नहीं कहीं ओर,
पहले आता ख्याल,
फिर होता कलम का आगाज़।
पहले उठता ख्याल,
फिर इंसान सोचता लगातार,
जब दिमाग में बन जाता मसौदा,
कलम उठाने को मन करता,
और उस ख्याल को उकेर देता,
एक रचना का जन्म हो जाता।
अगर ख्याल के बारे में
मालूम हो विस्तारपूर्वक,
रचना भी चढ़ती
सफलता की सीढ़ियां,
छा जाती लोगों में,
लेखक की हो जाती वाहवाही।
धीरे धीरे समाज पे पड़ता इसका प्रभाव,
लोगों के बीच होता वाद-विवाद,
आने लगते परिणाम,
कई बार इतना गहरा होता असर,
कि समाज का बदल जाता दृष्टिकोण।
अगर बदले दृष्टिकोण,
तो कलम और ख्याल सार्थक,
अन्यथा बनती संग्रहालय का हिस्सा।
