महकती सुबह
महकती सुबह
वो महकती सुबह कल भी थी
और आज भी है
फर्क बस इतना सा है कि
कल की सुबह में एक तराना था,
तो फिजाओं में तैरती थी
फूलों की खुश्बु और
ईश-वंदन की मधुर वाणी,
आज भी होती है वही सुबह
महकती है क्या ...?
फूलों की जगह, बारूद की गंध
ईश-वंदन की जगह,
गोलियों की आवाज,
और बेगुनाहों और मासूमों की चीत्कार
सुनाई देती है कानों को
आओ, चलें, करें हम वंदना ईश्वर से कि,
फिर से हो जाये वो सुबह
जो हरदम महकती रहे ईश वंदन से।।
