महिलाओं के लिए स्वतंत्र भारत
महिलाओं के लिए स्वतंत्र भारत
सज़ा दो उनको, जिसने जिस्म-औ-रूह ज़ार कर दिया
मत छोड़ो उनको जिसने दरिंदगी की हद पार कर दिया
आग लगी जो मन में उसे न बुझने देना
जलाओ उनको जिसने इज़्ज़त तार-तार कर दिया
सज़ा दो उनको, जिसने भरोसे के टुकड़े हज़ार कर दिया
मत छोड़ो उनको जिसने माँ को शर्मशार कर दिया
आग लगी जो मन में उसे न बुझने देना
जलाओ उनको जिसने इंसानियत पर वार कर दिया।
