महिला दिवस का सपना
महिला दिवस का सपना
महिला दिवस का तब ही होगा सपना साकार,
हर महिला को मिल जाए जब उसका अधिकार
तब सच हो पाएगी बराबरी की यह बात,
तब ही मिल पाएगी मुश्किलों से निजात।
पिता पति या बेटे का नियंत्रण
उसके जीवन में क्रमशः है रहता।
कभी आजादी न मिलती उसको,
नियंत्रण में भले दम हो उसका घुटता।
असुरक्षित हो तुम,
कभी अकेली न रहो,
समझाई जाती रही है यह बात।
उसे कैसे मिल पाएगी अकेलेपन के डर से निजात?
महिला दिवस का तब ही होगा सपना साकार,
हर महिला को मिल जाए जब उसका अधिकार
तब सच हो पाएगी बराबरी की यह बात,
तब ही मिल पाएगी मुश्किलों से निजात।
आदिकाल से ही नारी ने ,
महती भूमिका सदा ही निभाई।
कोना कोई हो जग का,
समाज ने उस पर उंगली उठाई।
परिश्रम तो सदा डटकर किया,
पर ज़माने ने फल क्या दिया?
थोथी बातों से हुए हैं बद से बदतर हालात,
ऐसे तो न मिल पाएगी इस बदी से निजात।
महिला दिवस का तब ही होगा सपना साकार,
हर महिला को मिल जाए जब उसका अधिकार
तब सच हो पाएगी बराबरी की यह बात,
तब ही मिल पाएगी मुश्किलों से निजात।
लोहा काटता ज्यों है लोहा,
त्यों नारी ही नारी की दुश्मन अक्सर है होती।
बहू शोषित होती रही सास के आचरण से,
वही सास बन शोषण है करती और बहू है रोती।
प्यारा है भाई भाभी से और बहू से प्यारा है बेटा,
अक्सर कहती हैं बहन मां यहां फिर कैसे सुधरेंगे हालात?
नारी के संग भेदभाव की समस्या से कैसे मिलेगी निजात।
महिला दिवस का तब होगा सपना साकार,
हर महिला को मिल जाए जब उसका अधिकार
तब सच हो पाएगी बराबरी की यह बात,
तब ही मिल पाएगी मुश्किलों से निजात।
सच में बराबरी तब ही मिलेगी,
विकसित समझ हो जब पा करके शिक्षा।
कर्तव्य अधिकारों की सही समझ ही,
कर पाएगी सही में उसके सम्मान की रक्षा।
जब समानता का भाव पनपेगा जन-जन में,
तब ही बदल पाएंगे समाज के बिगड़े हालात।
और नारी को तब ही मिलेगी,
समाज में समानता की सुंदर सौगात।
महिला दिवस का तब ही होगा सपना साकार,
हर महिला को मिल जाए जब उसका अधिकार
तब सच हो पाएगी बराबरी की यह बात,
तब ही मिल पाएगी मुश्किलों से निजात।