महात्मा बुद्ध
महात्मा बुद्ध
सत्य अहिंसा सदाचार हम मानव को सिखलाने को।
जन्म धरा पर लिया है गौतम जीवन मुक्त बनाने को।।
श्रेष्ठ राज परिवार मे जन्मे सुद्दोधन पितु मां महामाया।
यशोधरा सी जीवन संगिनी राहुल पुत्र रत्न को पाया ।।
निज हित से बढकर था उनको जीवों का हित करना।
दुःख सागर से बाहर करके जीवन मे सुख भरना।।
ज्ञान प्राप्ति के लिए वोधि तरु नीचे ध्यान लगाया ।
त्याग तपस्या से वर्षो मे रत्न ज्ञान का था पाया ।।
सारनाथ मे शिष्य पांच को अनुपम ज्ञान दिया था ।
करुणा मैत्री त्याग तपस्या का विस्तार किया था ।।
चार सत्य को गांव गांव जाकर जन जन को बताए।
कहा करे जो पालन इनका दुख सागर तर जाए ।।
हो सम्यक् संकल्प दृष्टि हो वाक् कर्म जीवन प्रयास ।
स्मृति समाधि अष्टांग मार्ग बिनु होते सारे व्यर्थ कयास।।
सबके सुख मे है अपना सुख परदुख मे मत सुख पाओ।
समता ज्ञान से होकर पूरित जगती को ही स्वर्ग बनाओ।।
धम्म शरण श्री बुद्ध शरण अरु संघ शरण में जाओ ।
खुद पालन उपदेशों का कर औरो को भी कराओ।।