महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप
मेवाड़ तब धन्य हुआ जब जन्मे थे महाराणा ।
राणा पुलकित हुए की वो तो बन गए थे नाना।
विरले ही अवतरित होते हैं महाराणा शूरवीर।
स्वराज्य के लिए भले पड़े रोटी घास की खाना।
हल्दीघाटी हुई थी कंपित राणा के चाप से।
रण में दुश्मन भी थर्राते थे चेतक की टाप से।
अपने पराक्रम से कहलाए वो वीर शिरोमणि ।
दुश्मन भी थर -थर कांपते आंखों की ताप से।
मेवाड़ी राजपूत सिंहों से दुश्मन भी हैरान थे।
महाराणा प्रताप के भाले उनकी पहचान थे।
रण में थर्राते शत्रु सुन रणबांकुरे की हुंकार ।
महाराणा के प्रहार से दुश्मनों में थी हाहाकार ।
