महाराणा का बलिदान...!
महाराणा का बलिदान...!
कैसे भूल जाएं
महाराणा के बलिदान को,
उनके संघर्ष साहस और
मातृभूमि के लिए त्याग को ।
मातृभूमि के रक्षा के खातिर
बीहड़ों की खाक जिन्होंने छानी थी,
देश का मान न झुकने पाए
इसलिए घास की रोटी भी खाई थी।।
ऐश्वर्य राजभवन का छोड छाड़
रण में मुगलों से लड़ते रहे,
महाराणा के हुंकार से
मेघ भी स्वत: गरजते रहे।
चेतक पर सवार हो भाले से, दुश्मन असंख्य मारे थे
स्वाभिमान न झुकने पाए,
इसलिए अकबर के अनुबंध ठुकराए थे।।
युद्धभूमि में राणा का, ऐसा भाला चला
हल्दीघाटी सिहर कर रक्त से नहा गई,
महाराणा के रौद्र रुप को देखकर
मुगल सेना पस्त होकर भाग गई।
जिनका स्मरण करते ही
नस नस में बिजलियां दौड़ने लगती हैं,
धमनियों में प्रबल वेग से
रक्त उबलने लगता है ।।
शौर्य पराक्रम से जिनके
मस्तक गर्व से उठ जाता है,
रण कुशलता देख उनकी
शत्रु भी यहां थर्राता है ।
राणा के बलिदान से
केसरिया जब लहराता है,
कण कण बोल उठता है
विजयी उदघोष चहुं दिशाओं में हो जाता है ।।
