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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

" मेरी उड़ान "

" मेरी उड़ान "

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चाहतों की उड़ानों में 

मैं भी उड़ता हूँ 

क्षितिज के छोर को 

मैं भी छूना चाहता हूँ

सही में मेरे पंख होते 

मैं भी पंक्षियों की तरह 

उड़ कर सरहदों के 

पार चला जाता

दीवारें ना कोई मजहब की होतीं 

लाख कोशिशों के बावजूद 

कोई अवरोधक नहीं बनता !

ना भाषाओं का बंधन 

ना रंगभेद की कोई बातें 

और ना धर्मों का महायुध्य देखने को मिलता !

नरसंघार ,युध्य अपराधों को भला 

कौन देखे बच्चे ,

महिलाओं के क्रंदन 

भाला  को कौन सुने ?

मैं तो उड़ जाऊँगा 

एक विश्व शांति की तलाश में 

जहां सिर्फ एक ही स्वर गूँजता हो 

"बसुधेव कुटुंकम !"


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