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pawan Mohakul

Romance

3  

pawan Mohakul

Romance

मेरी सुनती नहीं हो

मेरी सुनती नहीं हो

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तुम समझना चाहती हो मुझे, पर मेरी सुनती हो नहीं,

अब तुम ही मुझे समझाओ, मैं तुम्हें समझाऊं कैसे..?


रूठ जाती हो हर बार, पर नाराजगी जताती भी नहीं,

अब तुम ही मुझे ये बताओ, की मैं तुम्हें मनाऊं कैसे..?


सरहदों मैं कैद हो तुम, पहुंचने के सारे रास्ते बंद हैं

अब तुम ही मुझे ये बताओ, मैं तुम तक जाऊं कैसे..?


तुम समझना चाहती हो मुझे, पर मेरी सुनती हो नहीं,

अब तुम ही मुझे समझाओ, मैं तुम्हें समझाऊं कैसे..?



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