मेरी सहेली - भूख
मेरी सहेली - भूख
क्या है यह पहेली,
बनादि भूख को मेरी सहेली।
रोज़ मुझसे मिलने आती है,
मुश्किल से जाती है।
न बुलाऊ फिर भी आती है,
साया बनकर रहती है।
समझता नहीं मेरा मन,
बंधा है उससे कैसा गठबंधन।
कभी लगे उस पर पानी फेरलू,
लेकिन बात बनती नहीं।
अपने इन्द्रियों से उसे घरेलू
फिर भी यह पहेली बुझती नहीं।