STORYMIRROR

अनिल कुमार निश्छल

Romance

3  

अनिल कुमार निश्छल

Romance

मेरी क़िस्मत हो गए

मेरी क़िस्मत हो गए

1 min
294

अजनबी बन के आए थे तुम

और मेरी किस्मत हो गए


रब से मांगी थी दुआ एक 

उसकी मुझ पे रहमत हो गए।


साथ मिला हमनशीं तुम्हारा

हम इश्क की इबारत हो गए।


रूठते हो तो अच्छा है थोड़ा सा

लब तेरे हँसी की इजाज़त हो गए


इक नज़र ही काफ़ी है महफ़िल में

भरी बज़्म में नज़रे इनायत हो गए


हँसी खुशी गुजार लेंगे जिंदगी

गर 'निश्छल' मेरी मोहब्बत हो गए



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance