मेरी पहचान
मेरी पहचान
खुद से अनजान कहीं घूमता हूँ।
मैं अपनी पहचान ढूँढता हूँ।
वक्त तो दौड़ता ही रहा,
मुझसे ..............!
मैं चंद सांसो से ,
मोहलत उधार मांगता हूँ।
जिंदगी के जिस,
मील पत्थर से चले थे कदम।
उसी मील पत्थर पे ,
आ के खुद को टटोलता हूँ।।
किस कदर बंटता ही चला गया।
मैं उन टुकड़ों का हिसाब मांगता हूँ।
मैं कौन हूँ.......?
कहाँ से आया हूँ....?
क्या करने आया हूँ. ......?
क्या लेकर जाऊँगा ....... मैं?
..........?
मैं अपनी तलाश करता हूँ।
अपने अस्तित्व को,
जानने आया हूँ ?
अनगिनत राहों से,
मंजिलों का सफ़र करता हूँ।
मैं कौन हूँ.........?
मैं क्या हूँ ..........?
इन्हीं प्रश्नों में ,
बरसों से बसर करता हूँ।
चंद बचे लम्हों में अनजान घूमता हूँ।
मैं अपनी पहचान ढूँढता हूँ।