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Shishir Mishra

Romance

3  

Shishir Mishra

Romance

मेरी मोहतरमा

मेरी मोहतरमा

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कुछ देर खड़ी रही तेरी खुशबू तेरे जाने के बाद, 

कुछ देर खड़े रहे हम तेरी खुशबू जाने के बाद, 


मैं जाता भी तो कैसे खुली किताब लेकर बाहर, 

बारिश और तेज होती रही अब्रों के जाने के बाद, 


आज यूँ ही रो पड़े हम बंद कमरे में अकेले, 

बस यूँ ही आ गई तेरी याद आज एक ज़माने के बाद, 


लज़्ज़त ए गम ने किया खराब एक पल में सपनों को, 

हाथ मलते रहे ताउम्र हम अपनों के खो जाने के बाद, 


है वो ज़ाहिद कितना बेचारा, खो बैठा होश तेरे आने से, 

लुटती रही आबरू हर रोज़ सालों कहीं कमाने के बाद, 


बैठ कर हँसता हूँ मैं उसको मेरी जान ले जाते देख, 

इज़ाज़त हर कोई लेता है अब हमसे चले जाने के बाद, 


रोज़ हमें वो मशवरा देता था कि लोग नही मानेंगे, 

आज कहीं वो छोड़ पाया हमको कितने.... बहाने के बाद। 


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