मेरी कलम
मेरी कलम


आज अपने अस्तित्व को मैंने जाना है,
मैंने उस कलम की ताकत को पहचाना है,
ख्वाबों के पन्ने जो कोरे थे,
आज अपनी लेखनी से उसे उकेरा है,
अपने शब्द ,ज़ज्बात मैंने इसमें पिरोए हैं,
कई बार दिल की बातें लिखते समय,
अपनी आँखें भी आँसुओं से भिगोए हैं,
दिल की आवाज़ जो हमेशा दिल में ही रहती है,
और जो कह नहीं सकते वो कलम लिख देती है,
इसी तरह लिख देती हूँ दिल के हर अल्फ़ाज,
मेरी लेखनी से भी पता चल जाता है
मेरे जीने का अद्भुत अंदाज़ I