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Kumar Kishan

Abstract

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Kumar Kishan

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मेरी इच्छा

मेरी इच्छा

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इच्छा यही है की पंछी बनकर

विचरण करूँ इस गगन में

ना कोई डर, ना कोई अभिलाषा

हो मेरे मन में।


इच्छा यही है की बन जाऊँ

बादल और बरसूँ उस

वसुधा पर जहाँ

जहाँ केवल प्यास हो, और

उस प्यास में मुझे ही पाने की इच्छा हो।


इच्छा यही है की बन जाऊँ शशि

और अपनी शीतल चाँदनी से

उन्हें राहत दु,जो मेरे

चाँदनी की शीतल उजालों

में सुख पाना चाहते हैं।


पर डरता हूँ यह सब बताने से,

क्योंकि कब, क्या हो जाए ?

यह जिंदगी कब मौत का

सफर बन जाए, फिर भी,


इच्छा यही है की कर जाऊँ कुछ

ऐसा काम जिससे दीन-दुखियों के

दिल में भी अपनी एक जगह बना पाऊँ।


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