मेरी एक ही जान है !
मेरी एक ही जान है !
मेरी एक ही जान है और वो भी ज्यादा शैतान है।
प्यार इतना हो गया है तुमसे कि जीने के लिए
सांसो की नहीं तुम्हारी जरूरत है।
काश! तुम कभी ज़ोर से गले लगा कर कहो,
डरते क्यों हो पागल तुम्हारी ही तो हूं।
जिक्र उसी की है जिसकी जिक्रे उसी की है जिसकी फिक्र होती है।
मोहब्बत एक कटी पतंग है जनाब....
गिरती वही है जिसकी छत बड़ी होती है।
बड़ी मजबूती से थामा था हाथ मेरा 'प्यार' कहकर,
पता नहीं कैसी पकड़ ढीली हुई अब पहचानते भी नहीं हम।
हजारों महफिलें हैं और लाखों मेले हैं,
लेकिन जहां तुम नहीं वहां बिल्कुल अकेले हैं।

