मेरी दुआ
मेरी दुआ
जब भी कभी आसमाँ पे नज़र जाये
ये हाथ दुआ में उठ जाये
बस एक ही दुआ लबों पे आये
वक़्त की धुप कभी न
तुझे झुलसाये
ग़म होंगे ख़ुशी भी होगी
आँसू होंगे हँसी भी होगी
ज़िन्दगी की कोई भी दो
शाम एक सी न होगी
गिर के हर बार खड़े
होने की हिम्मत रह जाये
चोट कितनी भी गहरी हो
तेरा हौसला न हिला पाए
तेरी ज़िन्दगी का मकसद
ख़ुशी है
एक पल भी तू अपने
मकसद से दूर न जाये
काश मेरी ये दुआ क़ुबूल
हो जाये