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Rashmi Lata Mishra

Abstract Others

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Rashmi Lata Mishra

Abstract Others

मेरी डोर तेरे हाथ

मेरी डोर तेरे हाथ

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रंगमंच के कलाकार हम,

डोरी औरों के हाथ है।

जब तक चाहे कसकर पकड़े,

चाहे जब छोड़े साथ है।


फुदक-फुदक कर इधर-उधर, 

हम अपनी कला दिखाते हैं।

जो किरदार लिखे विधाता,

कलाकार वह निभाते हैं।


कठपुतली सा जीवन आना,

अपनी चाल नहीं चलते,

हुआ इशारा धागों का,

हम उसको निकल पड़ते हैं।


औरों के ही हाथ रही

हमारे जीवन की शैली,

उसी को दूजा नाम मिला,

कहते जिसे हैं कठपुतली।


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