STORYMIRROR

Priya Choudhary

Action

4  

Priya Choudhary

Action

मेरी आधा देह जला दो

मेरी आधा देह जला दो

2 mins
219

अरे जलधर तू यहां क्यों बरसे

जा हिमगिरी का मुकुट की धुला दे

 मेरे क्रोध की येे ज्वाला

आज कहीं तेरा जल ना जला दे

जो जलद अब तू भी अटल है

अग्नि की वर्षा करवा दे


उस अग्नि में आज भिगाकर

मेरा आधा देह जला दे

जब मेरा आधा देह भस्म हो 

आधे देह को आंच ना आए

तेरे ज्वल की लपट - चिंगारी

आधे देेह को छू नहीं जाए

जा जलद ना होगा तुझसे


तू तो खुद ही निर्मल है

अब तू कैसे भस्म करेगा

तेरे भीतर करुणा जल है

चल धरती अब तू ही प्रकट हो

अपने तल की ज्वाल दिखा दे

आधा देह आज बचाकर

मेरा आधा देह जला दे


यह सब सुनकर अचला और जलधर

अपने निवास में रह नहीं पाए

इतनी कठोर जब मांग सुनी तो

कारण जानने प्रत्यक्ष वो आए

हेे देवी तू कुछ क्षण रुक कर


अपने क्रोध की वजह बता दे

जिन धमनी बही राष्ट्रभक्ति हो

उन्हें कैसे सुलगा चटका दे

रक्त नयन ले मुड़कर बोली

अब तो धीरज धरना होगा

आधा अंग अब मृत है मेरा


देह संस्कार तो करना होगा

मैंने सारे देव के सम्मुख

त्ये था अर्धांग बनाया

उन्होंने समर में पीठ दिखाकर

कायरता का नाम कमाया

कायरता से मौत भली है

मुझे मृत मास से मुुक्त करा दो

अग्नि सुमुख किया जो धारण

रक्त वर्ण दामन सुलगा दो

मेरा आधा देह जला दो


देेह संस्कार सेेे मेरे प्रिय को

कुछ तो लज्जा आएगी

मेरे देह की धधकती ज्वला

समर की याद दिलाएगी

वीरगति से कायरता की

कालिख जब मिट जाएगी


शर्म से झुक रही मातृभूमि की

नज़रे फिर उठ जाएगी

वीर के संग जल मेरी आधी देह

जब पूर्ण हो जायेगी

लेकिन तब तक राख बना दो

मेरा आधा देह जला दो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action