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Priya Choudhary

Abstract Inspirational

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Priya Choudhary

Abstract Inspirational

ऐ काल बता तू हँसता तो होगा

ऐ काल बता तू हँसता तो होगा

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धमनी को पकड़ कर बैठा है 

सांसों पे शिकंजा कसता है तो होगा  

ऐ काल बता तू हँसता तो होगा 


आया होगा मेरी बस्ती में 

 तू भयानक रूप धार करके

मैंने तेरा रूप स्वीकार किया 

संग खेला मीत तेरा बनकर के 

एक जन्म के बाद में मुझे मिला 

खोया अपना तू रास्ता तो होगा 

ऐ काल बता तू हँसता तो होगा 


दुनिया में दौलत वन है 

पर घमंड नजर ना आता है 

और एक ना एक दिन आ 

तू सबको गले लगाता है 

साधु सा चलता जाता है 

औघड़ तू कहीं पर बसता तो होगा 

ऐ अकाल बता तू हँसता तो होगा


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