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Ruchi Madan

Classics

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Ruchi Madan

Classics

मेरे यारों लौट आयो

मेरे यारों लौट आयो

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मेरे यारों जरा मानो

तुम बिन अकेला हूँ

मै तन्हा हूँ, कोई नहीं

जो ये समझें की क्या हूँ।


मुझसे ज्यादा हैं तुमको पता

की क्या मैं हूँ, कि क्यूँ मैं हूँ

ये ज़माने की दुश्वारियां

और रुस्वाइयाँ मुझे जीने

नहीं देती।


रातों को तुम्हारी यादें

मुझे सोने नहीं देती

मुझे आदत पड़ गई है

तुम्हारी बेवकूफियों की

कभी ख़त्म ना होने वाली

उन बेफिजूल लड़ाइयों की।


क्यूँ जरूरी है हमारा अलग होना

अपनों की ख़ुशी के लिये

खुद को भूल जाना

ऐसे जीया नहीं जाता

औरो के तरीके से क्यूँ

जियूँ मैं अपनी जिंदगी।


क्यूँ मेरा ख़ुश रहना

जरुरी नहीं होता।


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