मेरे सपनों का भारत
मेरे सपनों का भारत
सबके मन में देशप्रेम हो, जनसेवा की चाहत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो
जात-पात का भेद नहीं हो ऊंच नीच का नाम न हो
धर्म के झगडो़ं में गुमराह बिल्कुल भी आवाम न हो
एकता की परिभाषा का सदा ही जिंदा मान रहे
जिस्म भले चाहे जितने हों सदा एक ही जान रहे
आग न दिल में कोई हो बस चैन सूकूं हो राहत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो
क्रोध, मोह, लालच में पड़कर भावनाएं कलुषित न हो
बेरोजगारी, भूखमरी से कोई यहाँ ग्रसित न हो
सबके जीने का अपना सिद्धांत एक जीवन में हो
नहीं उदासी का हो आलम खुशियां सबके मन में हो
प्रेम बसे बस कदम-कदम पर राग- द्वेष न नफरत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो
नेक हर एक यहां पर, कोई भ्रष्टाचार नहीं हो
आसां हो जीना हरदम ही महंगाई की मार नहीं हो
जमाखोरी और सूदखोरी का कोई भी आधार नहीं हो
सब हो एक बराबर कोई गरीब लाचार नहीं हो
इंसानियत की हो पूजा मानवता की इबादत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो
नैतिकता का ज्ञान यहां हो सभ्यताओं मान यहां हो
छल-प्रपंच का नाम नहीं हो बस जिंदा ईमान यहां हो
हवस-वासना किसी में न हो ऐसा हर इंसान यहां हो
बहू-बेटियां चलें शान से नारी का सम्मान यहां हो
विश्वगुरु वाले सपनों की पूरी हिफाजत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो
मालिक मेरे ऐसा ही मेरे सपनों का भारत हो।