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Nitu Mathur

Romance

4  

Nitu Mathur

Romance

मेरे शहर की बारिश

मेरे शहर की बारिश

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पहाड़ों पे बरसात का आना रोज का काम है

पर मेरे शहर में जब बरसे घटा....

तो शान का काम है,

हजारों उलझनों को अपनी तासीर से सुलझा दे

ये नन्ही बूंदें ऐसा कुदरत का करिश्मा है,


चौड़ी सड़कों पर पानी के रेले बहें इतरा के

राह की सभी गाड़ियों की गति मधम करा के

ऑफिस का केबिन हो या कॉलेज का कमरा

सब धुल रहें हैं आज मौसम पे नाज़ कर के,


वो जिन्हें इंतजार रहता है मेरे आने का

आज खुश हूं उन्हें और इंतजार करा के

निकला हूं बिना किसी शिकन फिक्र के

कुल्हड़ चाय की चुस्कियां होंठों पे समेट के,


ये याराने भी खूब रंग लायेंगे कसम से

जब सावन से पहले आप चले आयेंगे

मेरे शहर की बारिश कुछ धीमी तेज़ है

ये सलेटी बूंदें दिल के बेहद करीब है,


 आओ भीगें हम तुम इस भीगी मौज में

फिक्र के पसीने को ठंडे पानी से धो लें

बहुत कम आशिकी है बरसात की हमसे

ये प्यार जो बरस रहा है साथ में बटोर लें 


मेरे शहर की बारिश भी खूब है खूब है...


       


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