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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

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!! मेरे रावण मेरे राम!!

!! मेरे रावण मेरे राम!!

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हर आँख के अपने सपने

हे राम पूरे करो सबके सपने !!

खुली आँखों के सपने राम

आधे अधूरे सबके हो राम

वशिष्ट के विशिष्ट राम

कौशल्या के अभीष्ट राम

दशरथ के प्राणप्रिय राम

सीता के जीवनसाथी राम

रावण के पहचान पत्र राम

तेरे कितने रूप कितने नाम

स्मरण मात्र से बनता काम 

सत्य की विजय प्रतीक राम

मेरे रावणत्व को हरा दो राम !! 

नहीं चाहिए अब दुविधा अनंत

मेरे राम करो मेरे रावण का अंत !!

हर आँख के अपने सपने

हे राम पूरे करो सबके सपने !!


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