मेरे प्रेम की ओर
मेरे प्रेम की ओर
निर्मिमेष आकांक्षाएँ
षटपद आलोकमय,
रूपमय
तरंगित बाह्येन्द्रियाँ
संगीतमय चक्षु
लज्जागर्वित कपोल
सब दौड़ रहें हैं
मेरे प्रेम की ओर
अलकों की उलझनें
नासिका सारंगमय
अधरों की गुदगुदी
अनुभूति का स्पर्श
उँगलियों की आहट
झुक रहीं हैं
मेरे प्रेम की ओर
और मैं पुतलवत खड़ा हूँ
उन्हें देख रहा हूँ...

