उनका तो दिन रात एक है
उनका तो दिन रात एक है


टूटे उनचन सा उनका मन
बैठे सोये बात एक है
घुने खाट सा उनका है तन
उनका तो दिन रात एक है।
करें खेत में चाहे सड़क पर
हाड़तोड़ श्रम करना ही है
फाँके धूल या रेत सिमेंट को
रोग से लड़कर मरना ही है
काज कई हालात एक है।
उनकी पीढ़ी है टूटी सीढ़ी
नीयति में उनके चढ़ना गिरना
अभिशापित है उनकी प्रतिभा
धन बिन कैसे पढ़ना लिखना
कलम फावड़ा हाथ एक है।
न जाने कितनी योजनाएँ
सरकारी होती घोषणाएँ
बदले उनको लूटते खुद ही
क्यों न अब वो मशाल जलाएँ
शोषित कितने जात एक है।