STORYMIRROR

Mahendra Narayan

Abstract

4  

Mahendra Narayan

Abstract

उनका तो दिन रात एक है

उनका तो दिन रात एक है

1 min
543

टूटे उनचन सा उनका मन

बैठे सोये बात एक है

घुने खाट सा उनका है तन

उनका तो दिन रात एक है।


करें खेत में चाहे सड़क पर

हाड़तोड़ श्रम करना ही है

फाँके धूल या रेत सिमेंट को

रोग से लड़कर मरना ही है

काज कई हालात एक है।


उनकी पीढ़ी है टूटी सीढ़ी

नीयति में उनके चढ़ना गिरना

अभिशापित है उनकी प्रतिभा

धन बिन कैसे पढ़ना लिखना

कलम फावड़ा हाथ एक है।


न जाने कितनी योजनाएँ

सरकारी होती घोषणाएँ

बदले उनको लूटते खुद ही

क्यों न अब वो मशाल जलाएँ

शोषित कितने जात एक है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract