मेरे लेखन का एक एहसास..
मेरे लेखन का एक एहसास..


दिल को स्याही में पहले भिगोते हैं,
फिर कलम से अपने भाव सँजोते हैं,
देखा नहीं क्या कभी?
नाचते हैं ये अल्फाज़,
तो कभी मेरे ही आँसुओं में भीगे होते हैं।।
दिल को स्याही में पहले भिगोते हैं,
फिर कलम से अपने भाव सँजोते हैं,
देखा नहीं क्या कभी?
नाचते हैं ये अल्फाज़,
तो कभी मेरे ही आँसुओं में भीगे होते हैं।।