मेरे देश का झंडा प्यारा है
मेरे देश का झंडा प्यारा है
मेरे देश का झंडा प्यारा है,
यह लगता सबसे न्यारा है।
यह हिंदू-मुस्लिम, सिख-ईसाई,
सबने हैं वतन की कसमें खाईं।
यह गली-गली में खलीफ़े है,
हर यार के पास लतीफ़े है।
कुछ सच्चे हैं कुछ झूठे हैं,
कुछ बेवजह ही रूठे हैं।
यहां प्यार का ढंग निराला है,
हरेक वतन पर मरने वाला है।
यह कुछ सपनों के सौदागर है,
और कुछ सरहदों के बाज़ीगर हैं।
यहां बातें भी है बड़ी-बड़ी,
बस किसी को भी काम की नहीं पड़ी।
इन सब का एक ही कहना है,
बस अच्छा कुछ तो करना है।
ना मन की गुलामी सहना है,
हर किसी के दिल में रहना है।
यहां कुछ रंगीन है खयालों वाले भी है,
और कुछ बेबस से सवालों वाले भी हैं।
यहां कुछ अच्छाई का नूर भी है,
और कुछ सच्चाई का गुरुर भी है।
यहां बच्चे, बूढ़े और जवान,
यहां हर रंगों में मेल है सारा।
और हर मिलाप में रंग है न्यारा।
यहां घुंघरू बाली, पायल, कंगना,
बाजे है यह सब के अंगना।
यहां सिंदूर, बिंदी, बुरख़ा, साफ़ा,
यहां हर रंगो ने है ख्वाबों को ढांका।
इन सबका एक ही नारा है,
मेरे देश का झंडा प्यारा है,
मेरे देश का झंडा प्यारा है।