मेरे भाई, तुम देखना...
मेरे भाई, तुम देखना...
आज जो लोग
आज तुम्हारी कोई नौकरी
न रहने की वजह से
तुम्हें दुत्कार रहे हैं,
तुमसे नज़रें चुरा रहे हैं,
वो यह बात कतई
नहीं जानते हैं कि
तुम्हारे सत्कर्मों का परचम
जल्द ही लहराने वाला है, मेरे भाई विक्टर!
आज जो जाने-पहचाने चेहरे तुमसे
जानबूझकर मुंह फेर रहे हैं,
एक दिन ऐसा आयेगा कि वो भी
मजबूरन तुम्हारी तारीफों की पुल
बांधने में लग जायेंगे, मेरे भाई विक्टर!
ऐसा ही होता है कलियुग में...
जिस किसी जद्दोजहद करने वाले
ईमानदार इंसान की जेब में
फूटी कौड़ी भी नहीं होती,
उस लाचार इंसान पर
तथाकथित स्वार्थी और सुविधावादी लोगों की अजब दुनिया में उस सामयिक रूप में
असफल सच्चे इंसान पर
अटकलें लगानेवाले
सस्ते लोग तो झुंड में
बहुत मिलेंगे, मगर
उसको ईमान से समझने-पहचानने और
मदद की हाथ बढ़ाने वाले
बस गिनचुने ही मिलेंगे,
बाकी सब तो
महज़ दौलत-ओ-शोहरत से
एक पुरुष की पहचान करने के आदी हैं...;
उन्हें सत्कर्म करनेवाले
किसी पुरुष की पुरुषार्थ कभी
नज़र ही नहीं आती...!!
या फिर वो
सबकुछ जानकर भी
अनजान बनने का
नाटक करने में
महारत हासिल कर चुके हैं....!!!
मेरे भाई विक्टर ! तुम उन
स्वार्थी-सुविधावादी लोगों को
तवज्जो देना ही बंद कर दो !!
तुम बस
अपने ईमान की
पुकार सुनो...
और उस पर
अमल करो...
मेरे भाई विक्टर ! तुम जिन लोगों से
धोखा खा चुके हो ;
जिनकी बेरहमी एवं
दुर्व्यवहार का
शिकार बन चुके हो,
उन जाने-पहचाने लोगों की
चौखट पर दुबारा
काम का सहारा ढूंढने
भूल से भी
कभी मत जाना...!!!
मेरे भाई विक्टर! तुम ये
सीख ज़रूर ले लो
कि लोग यहां
सर पे पहले से ही
तेल मले हुए लोगों के
सर पर तेल मलने की
बुरी आदत से
बाज़ नहीं आते...!!!
वो कभी सुधरेंगे नहीं, मेरे भाई विक्टर !
वो कभी तुम्हारा दर्द समझेंगे नहीं...
क्योंकि हक़ीक़त में वो
कभी तुम्हारे करीब
थे ही नहीं...!
वो तो
फलना-ढमका की
फलना जगह में
फलना बेसरकारी नौकरी करके
ये शान-ओ-शौकत, ये दौलत-ओ-शोहरत
कमाने की दास्तानें
सुनते-सुनाते नहीं थकते...!
मगर मेरे भाई विक्टर ! तुम यह बात
अपने जहन में डाल लो
कि असली हीरे की कद्र
केवल एक कुशल जौहरी ही
कर सकता है,
और कोई
ऐरा-ग़ैरा नहीं...!!!
तुम आत्मविश्वासी बनो, मेरे भाई !
तुम्हारे सत्कर्मों को अवश्य ही
अपनी सही मंज़िल का
वो शानदार ठिकाना मिलेगा,
जिसके सही हकदार तुम हो !
मेरे भाई विक्टर ! तुम देखना...
मैं जो कह रहा हूं,
वो मैं तुममें
बेशक़ देख पा रहा हूं...!
ये मेरा अटल विश्वास है, मेरे भाई विक्टर !
तुम बार-बार विफल होकर ही
सफलता की शिखर पर
अपने बलबूते पर
अपनी सही औकात का
वो परचम लहराओगे
जिसकी शानदार शुरुआत
तुम्हारी कामयाबी से होगी...
मेरे भाई विक्टर ! हम सब हमेशा
तुम्हारे साथ हैं
और हमेशा ही डटे रहेंगे...
तुम बस अपनी कोशिशें
लगातार ज़ारी रखना...
क्या पता अगली पायदान पर
तक़दीर बनानेवाले ने
तुम्हारी कामयाबी का
अफसाना लिख चुका हो... !!!
