STORYMIRROR

Ashutosh Seth

Tragedy

2  

Ashutosh Seth

Tragedy

मेरा शहर

मेरा शहर

1 min
93

आज मैने हर इंसान को डरा सा देखा

आज मैने अपने शहर को वीरान देखा

कुछ तो जरुर बदला है इन हवाओं मे,

मैने आज इंसानो को उनके घरों मे,

और पंछियों को उनके घरों मे देखा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy