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Prafulla Kumar Tripathi

Abstract

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Prafulla Kumar Tripathi

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मेरा शहर , मेरा गीत ! (लखनऊ)

मेरा शहर , मेरा गीत ! (लखनऊ)

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हर शख्श के सपनों का ,

ये शहर है अपनों का।।


सरगम पे सजा है गीत ,

हर होठों पर संगीत।

हर क़दम पर मिलते मीत ,

गंगा-जमुनी तहजीब।।


गुम्बद मीनारों का ,

यह शहर है अपनों का।।


तुम जाकर भूल भुलैय्या ,

गम भूल जाओ मेरे भैया।

गोमती में डाल के नैय्या ,

तुम देश के बनो खिवैया।।


परचम है नफासत का ,

यह शहर है अपनों का।।


यहाँ मिलें अदब ओ सियासत ,

तहजीब तो अपनी आदत।

क़दमों में बिछी है शराफत ,

इतराती फिरे नजाकत।।


जायका दीवानों का ,

ये शहर है अपनों का।।



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