मेरा शहर , मेरा गीत ! (लखनऊ)
मेरा शहर , मेरा गीत ! (लखनऊ)
हर शख्श के सपनों का ,
ये शहर है अपनों का।।
सरगम पे सजा है गीत ,
हर होठों पर संगीत।
हर क़दम पर मिलते मीत ,
गंगा-जमुनी तहजीब।।
गुम्बद मीनारों का ,
यह शहर है अपनों का।।
तुम जाकर भूल भुलैय्या ,
गम भूल जाओ मेरे भैया।
गोमती में डाल के नैय्या ,
तुम देश के बनो खिवैया।।
परचम है नफासत का ,
यह शहर है अपनों का।।
यहाँ मिलें अदब ओ सियासत ,
तहजीब तो अपनी आदत।
क़दमों में बिछी है शराफत ,
इतराती फिरे नजाकत।।
जायका दीवानों का ,
ये शहर है अपनों का।।
