मेरा गांव
मेरा गांव
वो गांव की मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू,
मुझको बाह फैलाएं अपनी ओर बुला रही है।
मेरे निश्चल मस्ताने प्यारे बचपन की,
हर घड़ी हर पल मुझको याद दिला रही है।
आम के पेड़ों पर पड़े रस्सी के झूले,
वो कोयल की मीठी बोली को कैसे भूले।
चौपाल के किस्सों की याद आ रही है,
गांव की गलियां मुझे अभी बुला रही हैं।
खेतों की पगडंडियों से होकर स्कूल जाना,
नदिया के पानी में रोज सुबह नहाना।
आंगन में बैठी अम्मा आवाज लगा रही है,
खेतों में लहलहाती फसलें मुझको बुला रही हैं।
रात में आकर डराती झींगुर की आवाजें
कोयल के संगीत पर देखो मोर कैसे नाचे।
साथ में मिलकर पड़ोसिनें गीत गा रही हैं,
गांव की सारी दिवारें मुझको बुला रही हैं।