मेरा एक प्रश्न है
मेरा एक प्रश्न है
विश्व पूरा दंग है
कौन सी जंग है
कौन सा ये रंग है
जो हुए सब बे-रंग है
सीमाएं आज बंद है
समस्याएं प्रचंड है
उन लोगों का अब क्या करें
जो बने फिर रहे मलंग है
अमीर आज तंग है
गरीब कटी पतंग है
हवा कहीं है बन रही
दो धर्मो में द्वन्द
चित्त मेरा प्रसन्न है
पशु पक्षी स्वच्छंद है
आकाश जो था धुमिल हुआ
दमक रहा इसका वर्ण है
इसमें ना कोई प्रपंच
तैयार एक मंच है
उपचार इसका ढूँढ़ने को
सब एक हुए अविलंब है
अब मेरा एक प्रश्न है
विश्व के जो अन्य दंश है
गरीबी- भ्रष्टचार से हर समाज अपंग है
इन सबके उन्मूलन में
क्यों सदियों से गती मंद है।
