मदिरालय का आँगन
मदिरालय का आँगन
भाव घट को अपने भीतर समा लेता है मदिरालय का आँगन
पान करने वालों के अहसास को नखशिख पहचान लेता है मदिरालय का आँगन।
भूतकाल के काले सायों पर नशीली परत मलकर भविष्य में सुनहरे रंग भरता है मदिरालय का आँगन
साकी को मुक्तिबोध समझाने वाली भूमिका अदा करता है मदिरालय का आँगन।
साकी के मन से उठती उत्पिड़न की रुबाईयां कहता है मदिरालय का आँगन
प्यास को जीवन की मधुता में बदलता है मदिरालय का आँगन
अंगूर की बेटी कहलाती हाला छलक जाती है जब मदिरालय के आँगन
भावुकता का नाच तब नचाता है मदिरालय का आँगन।
दर्द की हर राह जाकर रुकती है मदिरालय के आँगन चखते ही हाला
दो बूँद साकी की चाल में रवानी भर देता है मदिरालय का आँगन।
प्याले में प्रतिबिम्बित होते अश्क का जलवा दिखाता है मदिरालय का आँगन
पीड़ा में भी सुख का आनंद देता है मदिरालय का आँगन।
कहते है जिसे हम बुरी चीज़ सेवन करने वालों के लिए दुआ सा है मदिरालय का आँगन
आँसूओं के उफ़ान को शांत करके शीत मरहम लगाता है मदिरालय का आँगन।
पूछता भी नहीं जिसे कोई उसके सौ नखरें उठाता है मदिरालय का आँगन
पीते नहीं साकी शराब साकी को ही पी जाता है मदिरालय का आँगन।
गमगीन स्मृतियों को मिटाता है चंद पलों के लिए मदिरालय का आँगन
मत पिओ भीतर तक खोखला करते खा जाता है मदिरालय का आँगन।