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Dhirendra Panchal

Abstract

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Dhirendra Panchal

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मधुशाला

मधुशाला

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मंदिर - मस्जिद बन्द रहेंगे, खुली रहेगी मधुशाला

है उसने फरमान सुनाया,

उसने है फरमान सुनाया, जो अमृत का रखवाला

मंदिर - मस्जिद बन्द रहेंगे, खुली रहेगी मधुशाला


घर-घर अब मदिरालय होगा, ना गिरिजा ना शिवालय होगा

इनकी तो बस गरिमा कुर्सी, माँ - बहनें और बेटी कुर्सी

है उनको रमजान मुबारक, 

उनको है रमजान मुबारक, जिनके घर तुलसी गौशाला

मंदिर - मस्जिद बन्द रहेंगे .


लम्बी फिर से हुई कतारें, बौनी लगती हैं सरकारें

सबको वो राहत बाटेंगे, फिर से दीमक बन चाटेंगे

लगता तड़प रहा सिंहासन,

लगता तड़प रहा सिंहासन, छूने को खुद मद का प्याला

मन्दिर - मस्जिद बन्द रहेंगे


घी और भात पे चर्चा करते, मंत्री जी परिचर्चा करते

सम्बोधन अखबारों में है, दिखता ना किरदारों में है

खुद को चौकीदार बताता,

खुद को चौकीदार बताता, हाथों ले चांदी का प्याला

मंदिर - मस्जिद बन्द रहेंगे


भूखे तन सपनो को सजाते, कंकड़ से ताजमहल बनाते

बिन ब्याही घर बैठी लाडो, हाथों में मेंहदी लगवा दो

सहमे हैं आंखों के डोरे,

सहमे हैं आंखों के डोरे, हलकू चाचा हुए दिवाला

मंदिर - मस्जिद बन्द रहेंगे।


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