मौत का डर
मौत का डर
मौत के डर से डर गया हूं मैं
मरने से पहले ही मर गया हूं मैं
मुझको समेटने में एक मुद्दत लगेगी
टूटे शीशे सा बिखर गया हूं मैंं
ना तेरी सदाएं आती है ना तू आती है
जाने अब आ किधर गया हूं मैं
माँ की दुआएं साथ रहती है हमेंशा
ज़माने से लड़ने जिधर गया हूं मैं
तू मेरे दिल में है तो मैं क्यूँ नहीं
क्यूँ तेरे दिल से उतर गया हूं मैं
उसे मोहब्बत का वास्ता देता भी तो कैसे
खुद अपने ही वादे से मुकर गया हूं मैंं
जाने कितनों के पहलू में रात गुज़ारी है मैंंने
तुझे भुलाने में हद से गुजर गया हूं मैंं।