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Juhi Grover

Abstract

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Juhi Grover

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मौत भी इक ठिकाना है

मौत भी इक ठिकाना है

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अकेले आयें  हैं, अकेले  ही  यहाँ  से चले जाना है,

दुनिया में  आ कर  के बस  चले  ही  तो जाना है।


अपनों का विश्वास क्या करना, साथ तो छूट जाना है,

क्षणभंगुर इस जीवन में सपनों का एतबार क्या करना है।


ये तो दुनिया की  नियति है, मलाल क्यों करते हो?

बचपन बीता, जवानी बीती, बुढ़ापा भी बीत ही जाना है।


दुनिया बस  रैन  बसेरा  है, अकेले ही रह जाना है,

ज़िन्दगी मिली है अगर, मौत भी तो इक ठिकाना है।


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