मौसम
मौसम
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अगर पूछूँ इन हवाओं से भी
धीरे से तेरा नाम लेकर गुजरती हैं
ये जुल्फे चेहरे पर और मुस्कुराहट होठों पर
तेरी यादों में खोकर ही तो आती हैं
लिखूँ जो तेरे बारे मे भी कुछ
आँखों में अलग चमक रहती हैं
पता नहीं ये कैसी हवाएँ हैं
पता नहीं ये कैसा मौसम हैं
जो लिखने का मन कर जाता हैं
लिखती भी हूँ तो तुझे सोच कर
पता नहीं क्या खासियत हैं इस मौसम की
जो मुझे हँसने पर मजबूर कर देती हैं
इसी मौसम में हमारा मिलना हुआ
इसी मौसम में हमारा जुदा होना हुआ
पर जो भी हुआ, हमारा हुआ
सिर्फ हमारा!!