STORYMIRROR

Navya Bhilatiya

Romance

2  

Navya Bhilatiya

Romance

मौसम

मौसम

1 min
342

अगर पूछूँ इन हवाओं से भी 

धीरे से तेरा नाम लेकर गुजरती हैं 

ये जुल्फे चेहरे पर और मुस्कुराहट होठों पर

तेरी यादों में खोकर ही तो आती हैं 

लिखूँ जो तेरे बारे मे भी कुछ 

आँखों में अलग चमक रहती हैं

पता नहीं ये कैसी हवाएँ हैं

पता नहीं ये कैसा मौसम हैं 

जो लिखने का मन कर जाता हैं

लिखती भी हूँ तो तुझे सोच कर

पता नहीं क्या खासियत हैं इस मौसम की

जो मुझे हँसने पर मजबूर कर देती हैं

इसी मौसम में हमारा मिलना हुआ

इसी मौसम में हमारा जुदा होना हुआ

पर जो भी हुआ, हमारा हुआ

सिर्फ हमारा!!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance