Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Navya Bhilatiya

Romance

4.8  

Navya Bhilatiya

Romance

वक़्त

वक़्त

1 min
222


देखा ना कभी पीछे मुड़ कर 

पर आज भी उसकी तस्वीर देखती हूँ 

क्यों आज भी वो याद आता है 

क्यों हर किसी में वो नज़र आता है 

कैसे उसे बताऊँ की आज भी वो ही है 

उसी पर मरती हूँ 

क्योंकी बहुत पहले मैंने ही करा था उसे खुद से दूर 

कहा था चले जा मुझसे दूर 

क्यों वो है तो लगता है जिंदगी है 

क्यों वो ना हो तो लगता है व्यर्थ है जीना 

आज कई दोस्त है मेरे 

हाँ बहुत ऐसे भी जो मुझे पसंद आए 

और ऐसे भी जिन्हें मैं पसंद आई 

पर वो तेरी कमी ना पूरी कर सके 

और ना कर सकते है

क्योंकी तू वो है जिसकी खामियों से भी मुझे प्यार है 

और वो वो है जिनकी अच्छाईयों से

चाह कर भी प्यार नहीं होता 

सोचा खुद को तुझसे दूर कर लूँगी 

तो सब ठीक हो जाएगा 

पर क्या पता था 

जिंदगी अपना खेल हर वक़्त खेलती है

तुझे मुझसे दूर जाने नहीं देती 

मुझे तेरे पास आने नहीं देती 

पर जिंदगी को भी क्या बोलूँ 

कसूर तो वक़्त का है 

जो दो सही लोग गलत समय मिल गए 

इसलिए तो कर दिया तुझे खुद से दूर 

ताकि किसी और तारीख को हम मिलें 

तब शायद वो वक़्त सही हो! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance