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panchii singh

Inspirational

4.5  

panchii singh

Inspirational

मौसम के रंग

मौसम के रंग

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लाश समझ कर बैठे थे मुझे

लेकिन अभी एक श्वास बाकी है।


झूठ के परदों में लिपटे हुए लोग

इनके उतरने अभी नकाब बाकी हैं ।


अंधेरे के खौफ से ना मिची जो आंखें

उन स्याह रातों का अभी हिसाब बाकी है।


लफ्जों से भले बयां न किया कभी।

हृदय में जो सुलगी थी, वो आग बाकी है।


कहते हैं ऐसे ही चलती रहेगी ये ज़िन्दगी

हर बदलती सुबह का अभी आगाज़ बाकी है।


खड़ी कर दी मंज़िलें लोगों ने यूं ही,

भूल गए रिश्तों की अभी बुनियाद बाकी है।


कुछ रंग बाकी हैं, कुछ उमंग बाकी हैं।

उम्मीद ना छोड़ो, अभी बसंत बाकी है !


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