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Husan Ara

Abstract

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Husan Ara

Abstract

मौसम बदल रहा

मौसम बदल रहा

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घृणा मेह सी बरस रही

प्रेम सूखा सा करवट बदल रहा,

ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से,

पृथ्वी का मौसम बदल रहा।


मानवता यहां सुन्न पड़ी है

क्रूरता की ठंड में

रिश्तों की पतझड़ यहां

देखो अबकी बसंत में।


हर मस्तिष्क में उठती लहरें

हर मन मे ज्वालामुखी उबल रहा

ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से

पृथ्वी का मौसम बदल रहा।


ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
ଲଗ୍ ଇନ୍

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