मौन
मौन
अभी शाम डसने लगी है वही,
सभी गम हमारे उसी ने सही।
मुझे जिंदगी अब न भाता यहॉं,
कहो खुशनुमा मौत सा है कहॉं।
अभी जो खुशी था कहीं अधखिला,
उसी बागबाॅं में चुभन ही मिला।
अमन ढूंढता था यहाॅं से वहाॅं,
खुली आंख सोऊॅं बताना कहाॅं।
अभी शाम डसने लगी है वही,
सभी गम हमारे उसी ने सही।
मुझे जिंदगी अब न भाता यहॉं,
कहो खुशनुमा मौत सा है कहॉं।
अभी जो खुशी था कहीं अधखिला,
उसी बागबाॅं में चुभन ही मिला।
अमन ढूंढता था यहाॅं से वहाॅं,
खुली आंख सोऊॅं बताना कहाॅं।