Sandeep Gupta

Inspirational

5.0  

Sandeep Gupta

Inspirational

झूठ का चक्रव्यूह

झूठ का चक्रव्यूह

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झूठ के आगे झूठ है,

झूठ के पीछे झूठ है,

झूठ घिरा है झूठ से।

आगे झूठ, 

पीछे झूठ,

दूर तक असंख्य झूठ!

झूठ के चक्रव्यूह में फँसा,

सच,

अभिमन्यु सा बेबस खड़ा।


झूठ उग रहा पेड़ पर,

झूठ हवा में उड़ रहा,

झूठ बिक रहा बाज़ार में, 

खा के झूठ, 

पी के झूठ ,

झूठ ही मैं उगल रहा ।

झूठ के चक्रव्यूह में फँसा,

सच,

अभिमन्यु सा बेबस खड़ा।


झूठ कलम में जा बैठा,

झूठ डिजिटल हो फैल रहा,

झूठ सोशल बन घूम रहा।

वायरल झूठ,

ट्रेंडिंग झूठ,

झूठ लाइक्स बटोर रहा।

मिलियन बिल्यन झूठ मध्य,

झूठ के चक्रव्यूह में फँसा,

सच,

नगण्य शून्य सा गिरा पड़ा।


युग, सतयुग से त्रेता हुआ,

त्रेता से द्वापर,

सच धूमिल, झूठ प्रबल हुआ,

युग द्वापर से कलियुग हुआ।

करने सच को प्रतिस्थापित,

कब होगा कल्कि का अवतार?


अभिमन्यु!

तू कर रहा है किसका इंतज़ार?

ध्वस्त कर इस व्यूह को,

झूठ के चक्रव्यूह के तोड़ का,

मंत्र,

है तेरे ही पास।


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