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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Action

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Action

दर्द की दुहाई न दे..

दर्द की दुहाई न दे..

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ख़ुदा दर्द की अब दुहाई न दे।

किसी की बुराई दिखाई न दे।


हया शर्म ‌सब भूलते हैं यहॉं,

मुझे प्यार में बेहयाई न दे।


सभी रो रहे हैं दिले बेखबर,

दिलों में दिलों की ही खाई न दे।


सरेआम जो लोग नीलाम हों,

उन्हें सोच में दिलरुबाई न दे।


घमंडी सभी हो गए हैं सुनो,

मुझे आज कोई सफाई न दे।


वतन में वतन से लड़े जो कभी,

कि ऐसे हमें बन्धु भाई न दे।


वतन ही मिरा प्यार है यार है,

मिरे देश में जग हॅंसाई न दे।


कि आतंक दहशत सभी दूर कर,

वतन काटते यूॅं कसाई न दे।


कि वीरान 'गुलशन' दुआ मॉंगता,

किसी को वतन से जुदाई न दे।



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