तराश
तराश
आज फिर से तराश रहा हूँ
अपने आप को।
घिस रहा हूँ बार बार अपनी धार को।
विचलित नहीं हुआ मैं किस्मत के वार से
हैरान परेशान भी नहीं अब किसी भी
अच्छे या बुरे आसार से।
माना की झोली अभी तैयार ही नहीं की
खुदा ने भरने के लिए पर
जिन्दगी रुकी नहीं मेरी
आशाएँ थमी नहीं मेरी।
अभी तो चलना सीखा है सफर जारी है
मजबूती से अड़े रहना, ये भी देखना
खुद सितमगर की लाचारी है
अभी तो शुरुआत है अभी जंग जारी है।
नाउम्मीदी के बादल समेट कर
जिन्दादिली की मशाल लिए खड़ा हूँ
अपने जीवट और स्वजनों के हौसलों का
आधार लिए अपने विपरीत हल उठने वाले से
लड़ा हूँ मैं।
कैसे मान लू कमजोर,
अभी हिम्मत है पुरजोर और
मेरे दायित्वों की अभेद दीवार
देती है हौसला मुझे
आगे बढ़ने का बारम्बार।
हर जरूरत मुझे उकसाती है
हर आवश्यकता मेरा जज्बा बढ़ाती है
जिन्दगी हर पल हर लम्हा मुझे और अदम्य
बनाती है।।
