अबला नहीं नारी
अबला नहीं नारी
नारी का सम्मान करो, मत अपमान करो।
ममता की मूरत है, सब अपनायेगी।।
सबको है प्यार करें, सबका सत्कार करें।
चंचला का रूप है जी, घर को सजायेगी।।
कभी ना लाचार करो, अच्छा व्यवहार करो।
अबला नहीं जी नारी, सबको बतायेगी।।
घर की है लाज सुनो, पुरुष समाज सुनो।
जब तुम छेड़ोगे तो, चंडी बन जायेगी।।
हिम्मत की बात हो या, कोई जज्बात हो जी।
रण में भी जाके नारी, सर को कटायेगी।।
रूखी सुखी खाये नारी, खुश रखे जग सारी।
त्याग कर सुख चैन, सबको हंसायेगी।।
नारी शक्ति जान लो जी, सब कुछ मान लो जी।
यम से भी लड़कर, सबको बचायेगी।
विपदा की मार पड़े, दुख जब द्वार खड़े।
मेहनत कर नारी, सबको खिलायेगी।।
चुनौती स्वीकार करें, सपने साकार करें।
हिमालय चोटी चढ़, झंडा फहरायेगी।।
समझो ना अबला जी, नारी तो है सबला जी।
पड़े जब जरूरत, रूप को दिखायेगी।।
