औरतें क्या होती हैं?
औरतें क्या होती हैं?
क्या कहा तुमने
औरतें पैदायशी
काम काज़ी होती हैं?
उनके तन मन को अपनी
जरूरतों से तौलने वालों समझो
वो तुम्हारी तरह इंसान होती हैं।
घर के अंदर खटती
या बाहर जमाने से
जूझती हर औरत
दिन में कई कई बार
मर मर कर जी उठती हैं,
वो जिंदगी का इमकान होती हैं।
तुम पाक रिश्तों में देखो,
या देखो जमाने की ठोकरों में
उनमें ललक छिपी होती है
कभी कभी कहीं कुछ हो पाने की,
कि एक पल या उम्र भर को सही
वे उलझनों में किसी को पूरा सुकून होती हैं।
हाँ, मगर
औरतें अक्सर बस
अपने लिए नहीं होती हैं।
