नारी
नारी
एक पुरुष के वजूद में जो खुद समा जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
पसन्द नापसन्द अपनी सब जिम्मेदारी के नीचे दबा जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
कभी बेटी बनकर माँ बाप की उम्मीदों का भार उठा जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
कभी बहन बनकर भाई की खुशियों का संसार बना जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
कभी बनकर एक पत्नी अपने पति की हर जीत को साकार बना जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
जब बनती है माँ तो अपने जीवन का सारा प्यार लुटा जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....
ज़िंदगी खुद की होती है फिर भी औरों के लिए जीना सीख जाती है
वो नारी है जो हर किरदार निभा जाती है....